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जन्म पत्रिका, या कुंडली, जीवन के विभिन्न आयामों का विवरण देने वाला एक महत्वपूर्ण साधन है। क्लिकएस्ट्रो वेबसाइट पर हिंदी में ऑनलाइन कुंडली उपलब्ध है। एक अनोखे हिंदी कुंडली सॉफ्टवेयर द्वारा मुफ्त रिपोर्ट तैयार की जाती है जो मानवीय त्रुटियों का निरसन सुनिश्चित करती है, अन्यथा कोई अशुद्धि हो सकती हैं। हिंदी में मुफ्त जन्म कुंडली (Free Janam Kundli Online) का लाभ उठाने के लिए, आपको केवल अपने जन्म का विवरण और समय देना होगा। आप क्लिकएस्ट्रो के साथ साझा की जा रही जानकारी के बारे में निश्चिंत रह सकते है।
हिंदी में ऑनलाइन कुंडली विभिन्न ज्योतिष पहलुओं जैसे राशि, ग्रह, दोष आदि के बारे में विवरण देगी। जन्म कुंडली का हिंदी में लाभ लेकर आप अपने जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले अब तक के अनभिज्ञ कारकों को जान पाएंगे। यह आपको शुभ फलदायी समय के बारे में पूर्व सुचना देकर आपको चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करेगा। क्लिकएस्ट्रो द्वारा उपयोग किया जाने वाला अनूठा हिंदी कुंडली सॉफ्टवेयर विवरण डालने के कुछ सेकंड में ही हिंदी में मुफ्त ऑनलाइन कुंडली की गणना करता है। फाइंडएस्ट्रो पर अपने पसंदीदा ज्योतिषियों से विस्तृत परामर्श प्राप्त किया जा सकता है। शुरुआत करने के लिए आकर्षक ऑफ़र उपलब्ध हैं। हिंदी में जन्म कुंडली समझने में सरल है और पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन के बारे में ज्योतिषीय फल कथन करती है। इस शानदार अवसर का उपयोग जल्द से जल्द करें।
कुंडली, जिसे 'जन्म पत्रिका' भी कहा जाता है, वास्तव में आलेख या मानचित्र है जो किसी कल विशेष में किसी स्थान विशेष से दृश्य आकाश में स्तिथ सूर्य, चंद्र, आदि ग्रहों की अंश्कलात्मक स्तिथि को दर्शाता है। इसमें ज्योतिषीय पहलुओं और संवेदनशील कोणों की स्थिति स्पष्ट होती है, जैसे कि किसी व्यक्ति का जन्म समय कुंडली शब्द ग्रीक शब्द 'होरा' और 'स्कोपोस' से बना है जिसका अर्थ क्रमशः 'समय' और 'द्रष्टा' होता है। वैदिक ज्योतिष में, इसी आलेख को जन्म कुंडली या जन्म पत्रिका या कहते हैं जो एक उपयुक्त संस्कृत शब्द है।
जन्म कुंडली (फलित ज्योतिष) सामान्य तौर पर किसी व्यक्ति के जन्म तारीख, समय और स्थान पर आधारित होती है। व्यक्ति से संबंधित इन 3 कारकों को जानकर ही एक संपूर्ण कुंडली तैयार की जा सकती है। इस गणितीय सिद्धांतो के आधार पर पहले लग्न का निर्धारण किया जाता है और फिर विभिन्न भावों में ग्रहों की स्थिति (Position of Planets) तय की जाती है।
लग्न कुंडली मुख्य जन्म कुंडली होती है। यह आपके जीवन को विस्तार से दर्शाती है। नवांश आपके जीवन के दूसरे भाग के परिणामों पर प्रकाश डालता है। मूल रूप से नवांश का अध्ययन आपकी वैवाहिक जीवन के अध्ययन हेतु किया जाता है।
जन्म कुंडली में बारह भागों में विभाजित होती हैं। प्रत्येक विभाग आपके जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। प्रत्येक भाग में स्थित राशियों और ग्रहों के स्वाभाव और शील के आधार पर कुंडली का अध्ययन किया जाता है। फलित ज्योतिष में ये विभाग भाव या घर कहे जाते है।
विवाह में कुंडली मिलान का अति विशेष महत्व है। यह वर और वधू की मौलिक विशेषताओं को दर्शाता है। विवाह को अधिक सफल और फलदायी बनाने के लिए प्राचीन काल से भारत में कुंडली मिलान (kundli matching) पारंपरिक प्रथा है। वर वधु की कुंडलियों का अध्ययन और सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है।
कुंडली में 12 (भाव) घर, 12 राशियां और 9 ग्रह होते हैं। 12 घर 12 राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमे ये 9 ग्रह (सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति, शनि, केतु और राहु) संचार करते हैं। ये भाव व्यक्ति के जीवन के विशिष्ट क्षेत्रों को भी इंगित करते हैं जिनमें विशिष्ट घटनाएं हो सकती हैं, जो ग्रहों की स्थिति के आधार पर शुभ या अशुभ होंगी।
जन्म के समय सभी 12 ग्रहों की स्थिति कुंडली में दर्शायी जाती है। वैदिक ज्योतिष में आमतौर पर उपयोग की जाने वाली दो शैलियाँ हैं - उत्तर भारतीय और दक्षिण भारतीय कुंडली शैलियाँ। उत्तर भारतीय जन्म कुंडली शैली, दक्षिण भारतीय जन्म कुंडली से भिन्न है। उत्तर भारतीय भाव -आधारित कुंडली है, अर्थात, कुंडली में घर (भाव) हमेशा एक ही स्थिति में रहते हैं और राशियां चल होती हैं। जबकि, दक्षिण भारतीय एक राशि -आधारित कुंडली है, जिसका अर्थ है कि कुंडली में राशियां हमेशा एक ही स्थिति में रहती हैं और भाव चल होते हैं। किसी भी पत्रिका/कुंडली में 12 खंड होते हैं जिन्हें 'घर', 'भाव', या 'स्थान' कहा जाता है।
सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति (गुरु), शुक्र, शनि, राहु और केतु यह नौ ग्रह भारतीय ज्योतिष का मूलभूत आधार है। उपरोक्त नौ ग्रहों के अलावा एक ज्योतिषीय रूप से महत्वपूर्ण ग्रह है जिसे गुलिक (मांदी) कहा जाता है। राहु और केतु वास्तव में पृथ्वी और चंद्र के प्रतिच्छेदन बिंदु हैं, न कि ग्रह। चूंकि इन ब्रह्मांडीय बिंदुओं का कुंडली पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है, इसलिए इन्हें ज्योतिष में ग्रहों (Planets in Astrology) की संज्ञा दी गयी है।
सर्वप्रथम जन्म कुंडली (जन्म पत्रिका) बन जाने के बाद, अगला चरण है, कुंडली की विश्लेषण करना। अपनी जन्म कुंडली (पत्रिका) को समझने के लिए आपको निम्नलिखित तत्वों की जांच करनी होगी।
1. जन्म कुंडली में विभिन्न भावों का महत्त्व
2. प्रत्येक राशि में विभिन्न ग्रहों का फल:
3. प्रत्येक भाव में विभिन्न ग्रहों का फल:
4.विभिन्न नक्षत्रों में जन्म का फल
5. विभिन्न लग्नों में जन्म का फल (लग्नेश)
जब लग्न रेखांश अपनी राशि में केंद्रीकृत होता है और प्रत्येक राशि की स्तिथि की सूक्ष्म गणितीय गणना करके राशि कुंडली बनाई जाती है, तब हमें भावचलित कुंडली मिलती है। भावचलित कुंडली को एक प्रकार से संशोधित राशि कुंडली कहा जा सकता है। लग्न और मध्य बिंदु दो भिन्न मूल्य हैं जिनकी भावचलित कुंडली गणना में आवश्यकता होती है। कुंडली बनाते समय पूर्व दिशा में उदय होने वाली राशि को लग्न राशि कहा जाता है। लग्न की अंश्कलात्मक स्थिति प्रथम भाव का मध्य बिंदु है। मध्य लग्न चलित चक्र का सर्वोच्च बिंदु है जो, दशम भाव का मध्यबिंदु है। अन्य भावों के मध्य बिंदुओं की गणना करने के चरण निम्न हैं:
कुल अंतर = लग्न - मध्य लग्न
एक भाव का अंतर = कुल अंतर 3 से विभाजित करें
ग्यारहवें भाव का मध्य बिंदु = मध्य लग्न + एक भाव का अंतर
बारहवें भाव का मध्य बिंदु = ग्यारहवें भाव का मध्य बिंदु + एक भाव का अंतर।
इसी प्रकार, भाव कुंडली प्राप्त करने के लिए अन्य सभी भावों के मध्य बिंदुओं की गणना करें। किसी भाव का प्रारंभिक बिंदु उसके और पिछले भाव का मध्य बिंदु होता है। स्वाभाविक रूप से, एक भाव का समापन बिंदु अगले का प्रारंभ होगा। लाइफसाइन मिनी फ्री कुंडली सॉफ्टवेयर, ग्रहों, भाव और राशियों के प्रभाव पर आधारित आपके व्यक्तित्व और जीवन पर विस्तृत फलादेश प्रदान करता है। इस मुफ्त कुंडली सॉफ्टवेयर में व्यक्तित्व, शारीरिक संरचना और स्थिति पर फलादेश के लिए पहले भाव का विश्लेषण करती हैं।
आपकी कुंडली में सुदर्शन चक्र तीन कुंडलियों का एक संयोजन कहा जा सकता है - सूर्य कुंडली, चंद्र कुंडली और लग्न कुंडली।
आपकी कुंडली में सुदर्शन चक्र आपको विभिन्न चक्रों के अनुसार ग्रहों के स्तिथि के विभिन्न रूपों का पता लगाने में मदद करता है। सुदर्शन चक्र का विश्लेषण आपको ग्रहों की स्थिति के आधार पर उनके प्रभावों का फल कथन प्रदान करने में सहायता करता है। सुदर्शन चक्र इस मुफ्त जन्म कुंडली सॉफ्टवेयर में शामिल किया गया है।
किसी व्यक्ति के दशा फल ग्रहों के बलाबल और स्थिति और योगों के बल पर निर्धारित करते हैं। यद्यपि फलित ज्योतिष में कालचक्र दशा, निसर्ग दशा, निरयण दशा और गुलिक दशा जैसी कई दशाएं हैं, लेकिन इन सभी में सर्वमान्य स्थान नक्षत्र दशा या ग्रह दशा को दिया जाता है। नक्षत्र दशा पद्धति में, विभिन्न चक्र कालावधि को निर्दिष्ट करने वाली भिन्नताएं हैं और सबसे लोकप्रिय पद्धति 120 वर्षों के चक्र पर आधारित है जिसे विंशोत्तरी दशा पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति में, मानव जीवन काल को संभावित कुल 120 वर्षों में विभाजित किया गया है जो 9 ग्रहों के शासन काल अनुसार विभाजित है। प्रत्येक ग्रह की अपनी शासन अवधि होती है और इसे ग्रह की दशा भुक्ति काल कहा जाता है।
वैदिक ज्योतिष में, मंगल सबसे प्रमुख ग्रहों में से एक है जो विवाह के विषय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है। एक जातक की कुंडली में मंगल की स्थिति, मंगल दोष या कुजा दोष की उपस्थिति को निर्धारित करती है, जो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में अशुभ प्रभाव और दुर्भाग्य लाता है। यदि जातक की कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो जातक को मांगलिक दोष होता है। यदि मंगल स्वगृह (मेष या वृश्चिक) या अपनी उच्च स्थिति (मकर) में स्थित हो तो जातक को मांगलिक दोष नहीं होगा। यह मुफ्त कुंडली सॉफ्टवेयर आपकी कुंडली में कुज दोष की उपस्थिति को जानने में आपकी सहायता करेगा।
जन्म कुंडली में ग्रहों के विशिष्ठ संयोजन होते हैं जो व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें योग कहा जाता हैं। ज्योतिष शास्त्र में हजारों योगों का वर्णन किया गया है (Types of Yogas), जिनमें से कुछ ग्रहों की सर्व साधारण संयोजन से बनते हैं, जबकि अन्य जटिल ज्योतिषीय तर्क या कुंडली में ग्रहों की अद्भुत स्थिति पर आधारित होते हैं। ग्रहों और भावों का बल, स्वामित्व, नवांश में स्थिति आदि भी योगों के प्रभाव को निर्धारित करते हैं। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में सैकड़ों योगों और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। जहां कुछ संयोजन शुभ फलदायी होते हैं, वही दूसरों के अवांछनीय प्रभाव हो सकते हैं।
कुंडली में अपने भाव के आधार पर ग्रह शुभ या अशुभ फल देते हैं (Benefic and Malefic Planets in Birth chart) जो स्वाभाविक रूप से लग्न के साथ बदलता रहता है।
चंद्र के अलावा, प्रथम भाव के स्वामी, नौवें और पाँचवें स्वामी (उस क्रम में) दसवें, सातवें और चौथे स्वामी (उस क्रम में) हो, जब वे स्वाभाविक फ़लदायी नहीं होते। यह केंद्राधिपति दोष कहलाता है, जो तभी समाप्त होता है जब उपरोक्त ग्रह अपनी स्वराशि में आ जाएं। कुंडली में नववें और दसवें भाव के स्वामी बहुत शुभकारी माने जाते हैं, लेकिन उन्हें आठवें या ग्यारहवें भाव से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। केंद्राधिपति बनने पर वे स्वाभाविक रूप से पाप ग्रह हो जाते हैं। अपनी स्वाभाविक प्रवृत्ति के विपरीत लक्षण प्राप्त करने का गुण तब समाप्त हो जाता है जब विचाराधीन ग्रह अपने ही भाव में स्तिथ हो।
तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी, उल्टे क्रम में, कोई भी लाभ ग्रह जो केंद्राधिपति दोष से दूषित हो सकते हैं।
लग्नेश चंद्र, आठवें और बारहवें भाव के स्वामी; हालांकि इस विवेचना में केवल सूर्य और चंद्र का ही इस गुण के होने का उल्लेख है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से इसे प्रत्येक ग्रह पर लागू किया जा सकता है।
ज्योतिषशास्त्र ग्रहों के अध्ययन को कहते है। ग्रह अलग-अलग चक्रों के अनुसार अपने-अपने समय में और अपने-अपने स्थान पर भ्रमण करते हैं। ज्योतिषशास्त्र किसी जातक के जन्म तिथि, समय और स्थान पर आधारित होता है। एक ज्योतिषी, जन्म कुंडली द्वारा जन्म कुंडली के नौ ग्रहों, नक्षत्र, बारह राशियों, या राशि चक्र, और बारह भावों, या घरों के बीच संबंधों का विश्लेषण कर सकता है।
पश्चिमी ज्योतिष सूर्य राशियों को महत्व देता है जबकि भारतीय ज्योतिष चंद्र राशियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है। यद्यपि गहन विश्लेषण के लिए विशेषज्ञों के लिए अनेको पद्धतियां उपलब्ध हैं, पश्चिमी ज्योतिष आम तौर पर आपकी सूर्य राशि को देखता है और सामान्य भविष्यवाणियां करता है जो लाखों लोगों के लिए सामान्य होती हैं। जैसे यदि आपकी सूर्य राशि मीन है, तो पश्चिमी ज्योतिषी द्वारा दी गई या पत्रिका / समाचार पत्र में दी गई सामान्य भविष्यवाणियां धरती उन सभी लोगों पर लागू होती हैं जिनकी सूर्य-राशि मीन है।
दूसरी ओर, भारतीय ज्योतिषशास्त्र आपकी जन्मतिथि, जन्म समय और जन्म स्थान की विवेचना है, जो इस विश्व में हर एक के लिए अद्वितीय है। जुड़वां बच्चों के मामले में भी जन्म का समय अलग-अलग होता है। मंडल आलेख, दशा पद्धति, अष्टकवर्ग आदि का उपयोग और ग्रहों के बल को जानने की सटीक गणना भारतीय ज्योतिष को अधिक अचूक और व्यक्तिगत बनाती है।
यह जितना सटीक हो, उतना अच्छा होगा। ऐसी कई गणनाएँ हैं जिनके लिए मिनट तक की सटीकता आवश्यकता होती है। कोई एक व्याख्या एक मिनट से अगले मिनट में पूरी तरह बदल सकती है, उदाहरण के लिए यदि आरोही राशि बदलती है। परंतु ये संयोग अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, आमतौर पर जन्म समय के लिए मिनटों और जन्म स्थान के लिए लगभग 20 किलोमीटर की सटीकता होना पर्याप्त माना गया है।
यहाँ ज्योतिष की विभिन्न पद्धतियां अमल में लायी जाती हैं, साथ ही प्रकाशित पंचांगों (पंचांगों) के बीच अंतर भी देखने को मिलता हैं। क्लिकएस्ट्रो ज्योतिष आमतौर पर भारतीय फलादेश कथन पद्धति पर आधारित है जिसे वैदिक ज्योतिष के रूप में भी जाना जाता है। क्लिकएस्ट्रो ज्योतिषीय गणना वैज्ञानिक समीकरणों पर आधारित होती है न कि किसी विशिष्ट प्रकाशित पंचांग पर। इसलिए बहुधा पंचांग के आधार पर हस्तचालित गणना में त्रुटियां हो सकती हैं और खगोल-दृष्टि गणना अधिक सटीक और विश्वसनीय होती है, क्योंकि यह जन्म विवरण के आधार पर प्रत्यक्ष गणना पर आधारित होती है।
हमने अपनी गणना के लिए 'चित्रपक्ष अयनांश', जिसे 'लाहिरी अयनांश' भी कहा जाता है अपनाते है, क्योंकि यह भारत में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाली अयनांश पद्धति है। यदि 'रमन अयनांश' या 'केपी पद्धति' जैसी भिन्न अयनांश पद्धति का उपयोग किया जाता है, तो ज्योतिषीय गणना और फलादेश भिन्न हो सकता है।
नहीं, हम कुंडली की व्याख्या के लिए केपी पद्धति का पालन नहीं करते।
ज्योतिष रिपोर्ट किसी भी व्यक्ति के जन्म तिथि, समय और स्थान पर आधारित होती है और इसलिए यह अंक ज्योतिष रिपोर्ट की तुलना में अधिक विशिष्ट होती है जो जन्म तिथि और व्यक्ति के नाम पर आधारित होती है। यदि आपके पास तीनों इनपुट विवरण हैं तो दोनों रिपोर्टें प्राप्त करना बेहतर होगा क्योंकि अंकशास्त्र रिपोर्ट आपको यह भी बताती है कि आपका नाम आपकी जन्म तिथि के अनुरूप कितना अनुकूल है। आप अपनी जन्मतिथि के साथ अधिक सुसंगत होने के लिए अपने नाम में फेरफार भी कर सकते हैं।
रत्न जन्म के महीने, राशि, जन्म नक्षत्र आदि के आधार पर पहने जा सकते हैं, लेकिन एस्ट्रो-विज़न वैदिक ज्योतिष पर आधारित जातक की कुंडली के आधार पर अधिक व्यापक तर्क का उपयोग करती है। ग्रहों के प्राबल्य और दुर्बलता का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाता है। 'अनुकुल-रत्न' विश्लेषण का उपयोग करके अनुकूल ग्रहों को प्रसन्न करना है हमारा दृष्टिकोण है। जब कई ग्रह दुर्बल होते हैं, तब नवरत्न अंगूठी पहनने का सुझाव दिया जाता है। छोटे बच्चों के लिए केवल 'गौदंती/चंद्रकांत' (मूनस्टोन) का सुझाव दिया जाता है।
इसके लिए दो लोकप्रिय पद्धतियां हैं जिनका नाम 'कलडीन' और 'पाइथागोरस' है। यहां मुख्य अंतर अक्षरों के लिए संख्यात्मक मान निर्दिष्ट करना है। जबकि पाइथागोरस एल्गोरिथम क्रमिक रूप से अक्षरों को मान प्रदान करता है, A=1, B=2, C=3 आदि। कलडीन पद्धति में अलग-अलग मान निर्दिष्ट किये जाते है, जैसे A,I,J,Y =1, इस प्रकार किया जाता है। क्लिकएस्ट्रो अंकज्योतिष रिपोर्ट कलडीन पद्धति पर आधारित है, जो भारत में मानक है और चेरो जैसे लेखकों द्वारा लोकप्रिय की गयी है।
क्लिकएस्ट्रो ज्योतिष ज्ञान को अत्यधिक आशावादी दृष्टिकोण के साथ आत्म-विकास साधन मानता है। यह लोगों को अपने स्वप्नों को पूर्णता में परिणित करने की शक्ति प्रदान करता है और इसे एक विज्ञान के रूप में माना जाना चाहिए। इस शास्त्र को प्राचीन समय के गुरुओं द्वारा सकारात्मक सोच और आशावाद को बढ़ावा देने के लिए विकसित किया गया था। इसलिए एक नीति के तौर पर एस्ट्रो-विज़न कुंडली के आधार पर किसी भी व्यक्ति के आयु के अध्ययन का समर्थन नहीं करती। ऐसा कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु की सही तारीख या समय केवल ईश्वर ही जानता है।
हम मंत्र, उपवास, यंत्र, पूजा, रत्न, दान आदि वैदिक भांति के उपाय सुझाते हैं। किसी विशेष उपाय की सलाह देने से पहले प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली का अच्छी तरह विश्लेषण किया जाता है, उदाहरण के लिए विवाह और बच्चों से संबंधित समस्या के मामले। तथापि, सभी प्रकार के सुझाए गए उपाय विशुद्ध रूप से सात्विक हैं।
वैदिक ज्योतिष नौ प्रमुख रत्नों पर केंद्रित है: चंद्र के लिए मोती, सूर्य के लिए माणिक, बुध के लिए पन्ना, शुक्र के लिए हीरा, मंगल के लिए लाल मूंगा, बृहस्पति के लिए पुखराज, शनि के लिए नीला नीलम, राहु के लिए गोमेद (हेसोनाइट) और केतु के लिए लहसुनिया (कैटस आई)। सस्ते विकल्प के रूप में मून स्टोन, गार्नेट, जेड और अन्य अल्पमूल्य या सहायक रत्नो का उपयोग किया जा सकता है। क्लिकएस्ट्रो रत्न अनुशंसा रिपोर्ट में सहायक रत्नों के नाम भी सूचित किए गए हैं।
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